वो मर के भी मेरी,आँखों में बस गये।
आँख मूँदनें से पहले , देख हँस गये।
ताउम्र इस अदाको समझना हुआ मुश्किल,
जाने से पहले मुझको वो कैसे कस गये।
सोचता रहता हूँ ..हँसी का है राज क्या।
लौटकर आयेगें क्या ऐसा कुछ कहा।
आज भी राह तक रहा हूँ यार, तुम्हारी ,
क्यूँ छॊड़ तन्हा ,जहां से तू चला गया।
गुरू दोस्त सारथी मेरा आसरा थे तुम।
बीच रास्ते पर छॊड़ क्यों हुए तुम गुम।
बहार आने को थी कुछ ठहर तो जाते,
क्या कमी थी प्रेम में जो ऐसे डस गये।
वो मर के भी मेरी,आँखों में बस गये।
आँख मूँदनें से पहले , देख हँस गये।